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कुलगीत

जय विश्वविधालय कुमाऊँ
तव सुयश, जग में बढ़ाऊँ,
ज्ञान सुधा संचय हो।
तेरी जय जय जय हो!

स्थापित मध्य हिमाद्रि चरण में,
शांत शुद्ध पर्यावरण में,
कर्मनिरत वातावरण में,
प्रज्ञा ज्योतिर्मय हो।।
तेरी जय जय जय हो!

शिक्षण-शोध विभिन्न विषयगत,
केंद्र विविध परिसर विधारत,
प्रतिबिबित सतरंगी भारत
सद् सुंदर शिवमय हो।।
तेरी जय जय जय हो!

प्रो0 दिवा भट्ट