डी0 एस0 बी0 परिसर, नैनीताल में संस्कृतविभाग की स्थापना सन् 1951-52 में हुई। सन् 1973 में यह कुमाऊँ विश्वविद्यालय का विभाग बना। विभाग की चहुर्मुखी प्रगति में डॉ0 बलवीर,डॉ0 कपिलदेव द्विवेदी, डॉ0 गोपाल दत्त पाण्डे, प्रो0 हरिनारायण, प्रो0 जगन्नाथ जोशी, प्रो0 दामोदर राम त्रिपाठी, और प्रो0 किरण टण्डन का अपूर्व योगदान रहा है। वर्तमान में विभागाध्यक्ष का दायित्व विभागीय प्राध्यापकों के सहयोग से प्रो0 जया तिवारीं निर्ववहन कर रही हैं। विभाग में एक पद प्राध्यापक का, एक पद सह प्राध्यापक का तथा तीन पद सहायक प्राध्यापक के हैं। एक पद तृतीय श्रेणी, एक पद चतुर्थ श्रेणी तथा पर्यावरण मित्र के है। विभाग में स्नातक स्तर में संस्कृतभाषा- आाधार पाठ्यक्रम (फाउण्डेशन कोर्स) और संस्कृतसाहित्य तथा स्नातकोत्तर स्तर में संस्कृत में साहित्यवर्ग सेमेस्टर प्रणाली के अन्तर्गत सी0बी0सी0एस0 पाठ्यक्रम 2020 से चलाया जा रहा है। स्नातकोत्तर स्तर में लघुशोधकार्य भी कराया जाता है। विभाग में पीएच0डी0 तथा डी0 लिट्0-उपाधि हेतु शोधकार्य निरन्तर चलते रहते हैं। लगभग 200 विद्यार...
Sanskrit Department: DSB Campus, Nainital
डी0 एस0 बी0 परिसर, नैनीताल में संस्कृतविभाग की स्थापना सन् 1951-52 में हुई। सन् 1973 में यह कुमाऊँ विश्वविद्यालय का विभाग बना। विभाग की चहुर्मुखी प्रगति में डॉ0 बलवीर,डॉ0 कपिलदेव द्विवेदी, डॉ0 गोपाल दत्त पाण्डे, प्रो0 हरिनारायण, प्रो0 जगन्नाथ जोशी, प्रो0 दामोदर राम त्रिपाठी, और प्रो0 किरण टण्डन का अपूर्व योगदान रहा है। वर्तमान में विभागाध्यक्ष का दायित्व विभागीय प्राध्यापकों के सहयोग से प्रो0 जया तिवारीं निर्ववहन कर रही हैं। विभाग में एक पद प्राध्यापक का, एक पद सह प्राध्यापक का तथा तीन पद सहायक प्राध्यापक के हैं। एक पद तृतीय श्रेणी, एक पद चतुर्थ श्रेणी तथा पर्यावरण मित्र के है। विभाग में स्नातक स्तर में संस्कृतभाषा- आाधार पाठ्यक्रम (फाउण्डेशन कोर्स) और संस्कृतसाहित्य तथा स्नातकोत्तर स्तर में संस्कृत में साहित्यवर्ग सेमेस्टर प्रणाली के अन्तर्गत सी0बी0सी0एस0 पाठ्यक्रम 2020 से चलाया जा रहा है। स्नातकोत्तर स्तर में लघुशोधकार्य भी कराया जाता है। विभाग में पीएच0डी0 तथा डी0 लिट्0-उपाधि हेतु शोधकार्य निरन्तर चलते रहते हैं। लगभग 200 विद्यार्थियों को पीएच0 डी0 की उपाधि तथा 15 विद्यार्थियों को डी0 लिट्0 की उपाधि दी जा चुकी है। प्रतिवर्ष विभाग के विद्यार्थी नेट, यू-सेट एवं पी0 सी0 एस0-ई0 परीक्षा में सम्मिलित होकर सफल होते हैं। इस प्रकार संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है।